राजस्थान के भौतिक एवं भौगोलिक प्रदेश से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी देखे,Details about Rajasthan Regions (Physical & Geographical). Download here notes about the information of the Regions of Rajasthan. You can also download this information in PDF.
इस आर्टिकल में आज हम आपको राजस्थान के भौतिक एवं भौगौलिक प्रदेशो से संबंधित जानकारी देने जा रहे है। इसके अंतर्गत हम आपको बताएंगे की राजस्थान के मरुस्थलीय, पठारी, शुष्क, नमी, जलवायु वाले एवं अन्य सभी भौतिक एवं भौगौलिक प्रदेशो के बारे में साथ ही इनकी उत्पत्ति के बारे में भी। यह परीक्षा की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिससे हर वर्ष प्रश्न पूछे जाते है। अतः यह जानकारी आप ध्यान पूर्वक पढ़े।
राजस्थान के भौतिक एवं भौगोलिक प्रदेश
राजस्थान को कितने भौतिक प्रदेशों में बांटा गया है = चार
- पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश = (1) शुष्क मरुस्थलीय = ( ईर्ग मरुस्थलीय, हम्माद, रेम, बरखान, बच्छान, अनुदैध्र्य बालुका स्तूप, अनुप्रस्थ बालुका स्तूप, टाट / रन ) (2) अर्ध्दशुष्क मरुस्थलीय प्रदेश = ( घग्घर का मैदान, शेखावाटी प्रदेश, नागौरी उच्च भूमि, लूनी बेसिन )
- अरावली पर्वतीय प्रदेश = ( उतरी, मध्य, दक्षिणी )
- पूर्वी मैदानी प्रदेश = ( बाणगंगा का मैदान, बनास का मैदान, चम्बल बेसीन, माही का मैदान )
- दक्षिणी पूर्वी पठार प्रदेश / हाड़ौती का पठार

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राजस्थान के भौतिक प्रदेशों की उत्पति (Origin of the Physical Regions of Rajasthan)–

पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश – इस प्रदेश में राजस्थान के 12 जिले आते है

राजस्थान के प्रदेश एवं उनसे जुड़े प्रश्न (Rajasthan Regions & Based Questions on it)
- इस प्रदेश को दो भागों में बांटा गया है = शुष्क और अर्ध्दशुष्क मरुस्थल
- इस प्रदेश में राज्य के 12 जिले आते है = गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जालौर, जोधपुर, पाली, नागौर, हनुमानगढ़, सीकर, चूरू, झुंझुनू
- यह प्रदेश राज्य के 58% भाग पर फैला है
- राजस्थान के11% भाग पर मरुस्थल का विस्तार है
- इस प्रदेश में राज्य की 40% जनसंख्या निवास करती है
- इस प्रदेश की जलवायु शुष्क व अत्यधिक विषम जलवायु है
- इस प्रदेश में वर्षा से 50 CM. तक होती है
- इस प्रदेश की वनस्पति = मरुदभिद ( जिरोफाइट )
- मिट्टी = बलुई रेतीली मीट्टी है
पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश को दो भागो में बांटा गया है –

- शुष्क मरुस्थलीय प्रदेश – इस प्रदेश में राज्य के चार जिले आते है – बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर
- इस प्रदेश में वर्षा 0 से 20CM तक होती है
- 25CM वर्षा रेखा पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश को दो भागो में विभाजित करती है
- शुष्क मरुस्थलीय प्रदेश में तीन प्रकार के मरुस्थल देखने को मिलते है (1) इर्ग (2) हम्माद (3) रेग
- इर्ग मरुस्थल -इसे रेतीला भाग माना जाता है, जो की बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर में विस्तारित है
- हम्माद मरुस्थल – यह मिश्रित्त मरुस्थल है इस भाग में बालुका स्तूप भी पाया जाता है जिन्हे धरियन कहा जाता है
इनके तीन प्रकार है-
- बरखान / बरच्छान बालुका स्तूप – अर्द्धचन्द्राकार बालुका का स्तूप जो सर्वाधिक गतिशील होते है यह शेखावाटी प्रदेश में देखने को मिलते है
अनुदैध्र्य बालुका स्तूप- यह वायु की दिशा के समान्तर होते है यह सर्वाधिक जैसलमेर जिले में देखने को मिलते है ।
अनुप्रस्थ बालुका स्तूप – यह वायु की दिशा के समकोण बनाते है सर्वाधिक बाड़मेर में पाये जाते है
टाट या रन – वायु के कारन बने गड्डो में बरसात का पानी जमा होने से अस्थाई खरे पानी की झीलों का निर्माण होता है, जिन्हे टाट या रन कहा जाता है

जैसे – कानोड़, बरमसर, भाखरी, पोकरण – जैसलमेर, लावा, बाप,फलौदी – जोधपुर थोब -बाड़मेर
रेगिस्तान का मार्च –

( NOTE ) = मरुस्थल का आगे की ओर बढ़ना मार्च कहलाता है जिसके लिए जैसलमेर का नाचना गाँव प्रसिध्द है
महत्वपूर्ण प्रश्न / तथ्य – इस भाग में मरुउद्यान ( राष्ट्रीय ) स्थित है
- यहाँ आकल जीवाश्मपार्क, राज्य पक्षी गोडावन व पीवणा नामक विषैला सर्प पाया जाता है
- चौहटन ( बाड़मेर ) गोंद उत्पादन के लिए प्रसिध्द है
- चन्दन नलकूप ( जैसलमेर ) को थार का मीठे पानी का घड़ा कहा जाता है
- जैसलमेर जिले में सर्वाधिक बंजर व व्यर्थ देखने को मिलती है
- अर्ध्दशुष्क मरुस्थलीय प्रदेश –

इस मरुस्थलीय प्रदेश को चार भागो में विभाजित किया गया है
- घग्घर का मैदान (2) शेखावाटी प्रदेश (3) नागौरी उच्च भूमि का प्रदेश (4) लूणी बेसिन
इस मरुस्थलीय प्रदेश में राज्य के (11) जिले आते है
- घग्घर का मैदान – गंगानगर व हनुमानगढ़ में फैले इस भाग का निर्माण घग्घर नदी ध्दारा किया गया है
- शेखावाटी प्रदेश – सीकर, चूरू, झुंझुनू, में फैले इस भाग में स्थानीय भाषा में कुओं को जोहड़ कहा जाता है
- नागौरी उच्च भूमि का प्रदेश – पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश का यह सबसे ऊँचा भाग है, यहाँ पर सर्वाधिक खारे पानी की झीलें पाई जाती है |
- लूणी बेसीन – इस प्रदेश का निर्माण लूणी व् इसकी सहायक नदियों के द्वारा किया जाता है|
अरावली पर्वतीय प्रदेश –

अरावली ऋखंला में मुख्य रूप से आठ जिले आते है | कुल जिले 17 आते है |

मुख्य बिंदु –
अरावली पर्वतमाला दक्षिण – पक्षिम से उतर – पूर्व की ओर फैली हुई है
- राजस्थान में अरावली पर्वतमाला 9% ( 9.3% ) भाग पर फैली हुई है
- राज्य की 10% जनसँख्या निवास करती है
- इस क्षेत्र में 50CM से 80CM तक वर्षा होती है इस क्षेत्र की जलवायु उपआर्द्र है
- यहाँ की मिटटी लाल भूरी होती है
- अरावली की तुलना अमेरिका की अपलेशियन पर्वतमाला से की गई है
- अरावली की कुल लम्बाई 692KM है | ( राजस्थान में 550KM है ) अरावली की चौड़ाई राजस्थान के दक्षिण भाग में अधिक तथा उतरी-पूर्वी भाग में कम चौड़ाई देखने को मिलती है
- अरावली का न्यूनतम विस्तार = अजमेर में |
- अरावली का अधिकतम विस्तार = उदयपुर में |
- सबसे ऊंचीं चोटी – गुरुशिखर ( सिरोही ) 1722 या 1727 मीटर
- सबसे कम नीची घाटी – पुष्कर ( अजमेर )
अरावली पर्वतीय प्रदेश को तीन भागों में बाँटा गया है

1. उतरी अरावली – अरावली के इस भाग में सीकर, झुंझुनू, अलवर, जयपुर जिले आते है |
- औसत ऊचांई = 450 मीटर
- इस प्रदेश में सर्वाधिक ऊँची चोटी = रघुनाथ गढ़ ( सीकर ) 1055 मीटर
2. मध्य अरावली – अरावली के इस प्रदेश / भाग में अजमेर आता है |
- इस भाग की औसत ऊंचाई = 700 मीटर है |
- सर्वाधिक ऊँची चोटी मोराम जी ( 933 मीटर ) तारागढ़ ( अजमेर ) – 873 मीटर
3. दक्षिणी अरावली – अरावली के इस भाग में राजसमंद, सिरोही, उदयपुर, डूंगपुर आदि आते है |
- इस भाग की औसत ऊंचाई = 1000 मीटर है |
- सबसे ऊँची चोटी – गुरुशिखर (सिरोही)
- इसको कर्नल टॉड ने संतो का शिखर कहा – (गुरुशिखसर)
- यहाँ पर भगवान दत्तात्रय का मंदिर स्थित है |
- दक्षिणी अरावली में तस्तरी नुमा प्रदेश के मध्य 1559 ई. में उदयसिंह ने उदयपुर शहर की स्थापना की |
- उदयपुर में जरगा व रागा पहाड़ियों के मध्य के प्रदेश को देशहरो कहा जाता है |
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